राजनीतिक गलियारों में आरोप प्रत्यारोप का दौर जारी
उत्तर प्रदेश - कानपुर मुठभेड़ में 8 पुलिस कर्मियों के शहीद होने के बाद पुलिस तो जो कार्यवाही कर रही है वो कर रही है। लेकिंन राजनीतिक गलियारों में आरोप प्रत्यारोप का दौर शुरू हो चूका है। बीजेपी - सपा एवं बसपा काल में विकास दुबे के आपराधिक जीवन की उन्नति की बात रही है तो सपा, बसपा, आम आदमी पार्टी सभी बीजेपी से सवाल कर रहे है की आज तो यूपी में बीजेपी की सरकार है फिर ऐसा कुख्यात अपराधी किस प्रकार जेल से बाहर आ गया और उसने इतनी बड़ी घटना को अंजाम दे दिया। जो भी हो आज जिम्मेदारी तो आज की बीजेपी सरकार की बनती है उसे ही इन सब पर अंकुश लगाना चाहिए था।
एक फोटो सोशल मिडिया पर वायरल हो रहा है जिसमे विकास दुबे की पत्नी ऋचा दुबे के सपा के टिकट पर चुनाव लड़ने की बात की जा रही है और एक दूसरे पोस्टर में स्वयं विकास दुबे को बसपा के टिकट पर ग्राम पंचायत का चुनाव लड़ने की बात की जा रही है।
इन्ही सब आरोप प्रत्यारोपो के बीच पूर्व आईएएस सूर्य प्रताप सिंह ट्विटर पर एक फोटो पोस्ट करते है जिसमे उत्तर प्रदेश के कानून मंत्री बृजेश पाठक, कुख्यात अपराधी विकास दुबे के साथ दिखाई दे रहे है। विकास दुबे को संरक्षण देने का आरोप लगाते हुए पूर्व आईएएस सूर्य प्रताप सिंह ट्विटर पर लिखते हैं – अब क्या क़ानून मंत्री के ऊपर मुक़दमा करवाएगी योगी सरकार ? क्या उन्हें मंत्री परिषद से बर्खास्त करेंगे? मेरे जैसे सामान्य व्यक्ति पर एक सवाल पूछने पर मुक़दमा करने वाले अब कहाँ गए? एक मंत्री को बचाने के लिए अब पूरी मीडिया लग गयी है। क्या विकास दुबे को भाजपा का खुला संरक्षण है?
ये रिश्ता क्या कहलाता है?
पूर्व आईएएस सूर्य प्रताप सिंह, यूपी के कानून मंत्री बृजेश पाठक के साथ विकास दुबे की तस्वीर होने का दावा करते हुए एक और ट्वीट करते हैं – उत्तरप्रदेश सरकार के क़ानून मंत्री ब्रजेश पाठक और विकास दुबे की एक साथ तस्वीर डालकर लिखते है - ये रिश्ता क्या कहलाता है?
किस राजनीतिक पार्टी के दावों में सच्चाई ?
किस राजनीतिक पार्टी के दावों में और पूर्व आईएएस के इन दावों में कितनी सच्चाई है यह तो जांच के बाद ही स्पष्ट होगा। लेकिन एक अपराधी के इतनी बड़ी घटना को अंजाम देने से इतना तो स्पष्ट है कि पुलिस वालों पर अंधाधुंध गोलियां चला देने का दुस्साहस करने वाले विकास दुबे पर किसी बड़े राजनेता का हाथ जरूर है।
कई लोग कानून मंत्री बृजेश पाठक का बचाव करते लिखते है की वो नेता है और कोई भी उनके साथ सेल्फी ले सकता है क्योंकि हमारे साथ भी कई ऐसे लोग सेल्फी खिंचवा लेते हैं जिन्हें हम नहीं जानते। लेकिन यूपी के कानून मंत्री बृजेश पाठक हिस्ट्रीशीटर विकास दुबे को न जानते हों ऐसा होना असम्भव है। कानून तोड़नेवाले के साथ कानून मंत्री यूं खड़े हों तो प्रश्न उठने लाजिमी है। क्योंकि सत्ता में बीजेपी है इसलिए कानून व्यवस्था एवं प्रश्नो की जिम्मेदारी भी उसकी है।
जनता सरकार से सवाल उठा रही है की यदि अपराधियों के सामने पुलिस ही स्वयं को नहीं बचा पा रही तो आम आदमी रक्षा कैसे होगी या पुलिस की शक्ति मात्र आम आदमी को पीड़ित करने तक सीमित है अपराधियों और नेताओ के समक्ष वो भी छोटी पड़ जाती है।