सघ का बदलता स्वरूप
बदलते राजनितिक एवं समाजिक परिवेश में राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ एवं उसके अनुसांगिक संगठनों में पिछले कुछ समय से पुनर्गठन का दौर चल रहा है। बहुत तेजी से संघ और उसके संगठनों का स्वरूप बदलता जा रहा है। पहले आरएसएस में छोटे से छोटे स्वयं सेवक को अपनी बात कहने का अधिकार था अपने विचारो को सबके समक्ष रखने का अधिकार था जिस पर विवेकपूर्ण तरीके से विचार करने के बाद उस पर निर्णय भी लिया जाता था।
डाक्टर केशवराव बलिराम हेडगेवार जी ने कांग्रेस की विचारधाराओ से असहमति के कारण कांग्रेस से अलग होकर राष्ट्रवाद और हिन्दुवाद को मूल में रखकर आरएसएस की स्थापना की थी। जिसे शुरुआत से ही कटटरवादी हिन्दू संगठन के रूप में देखा जाता था। परन्तु वर्ष 2002 में श्री इंद्रेश जी के मार्ग दर्शन में राष्ट्रीय मुस्लिम मंच की स्थापना हुयी। उसके बाद विभिन्न क्षेत्रो में संघ की कार्यप्रणाली में बदलाव आने लगा और इसका प्रत्यक्ष प्रमाण पूरा जीवन संघ के अनुसांगिक संगठन विश्व हिन्दू परिषद को देने वाले और कभी उग्र हिन्दुवाद के महानायक के रूप में उभरे श्री प्रवीण तोगड़िया को संगठन से बाहर का रास्ता दिखा दिया गया। साथ ही संघ की अन्य परम्पराओ में भी बदलाव होने लगा।
सघ में परम पवित्र भगवा ध्वज को गुरु रुप में खोजा गया और उसे संघ में गुरू के रूप में स्वीकार किया गया। सभी स्वयंसेवक वर्ष भर में 1 दिन अपने गुरु के दक्षिणा के रूप में अपनी श्रद्धा के अनुसार कुछ राशि परम पवित्र भगवा ध्वज को समर्पित करते हैं। जिससे संघ के कार्य चलते है जिस में गुरु दक्षिणा गुप्त दान की तरह होते है। कोई मात्र पुष्प चढ़ाता है तो कोई लाखो, करोड़ो का का दान करता है औसतन 500 रूपये प्रत्येक स्वयंसेवक द्वारा, संघ के 5 करोड़ स्वयं सेवक गुरु दक्षिणा करते है जिससे संघ के कार्य चलते है।
अब सभी अनुसांगिक संगठन अपनी अपनी रसीदे छपवाकर जनता से चंदा इकट्ठा कर रहे है। परन्तु पुराने स्वयं सेवको को ये आहत कर रहा है। कइयों का तो ये भी कहना है की देश और हिंदुत्व का कार्य छोड़कर सिर्फ चंदे की बात होती है।
इसी कड़ी में गाज़ियाबाद के विश्व हिंदू परिषद के पदाधिकारियो उपेंद्र गोयल व् हिमांशु राजपूत के बीच काफी कहासुनी हो गयी और बात यहाँ तक बड़ गयी की सभी पुराने स्वयंसेवको को बदलने की बात कही गयी।
पुराने स्वयंसेवको का कहना है की यदि कुछ लोग इस चंदे के पैसे से अपनी जेबे गर्म कर रहे है वरना स्वयं सेवक तो समर्पित भाव से अपनी सेवाएं देते है।